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त्रिया का सृजन

हाइकु से मेरी मुलाकात हाल ही में हुई - कुछ चार वर्ष पहले जब मैंने कथा नेशनल रायटर्स वर्कशॉप, नयी दिल्ली में प्रसिद्ध हाइकु कवि व त्रिवेणी हाइकाई इंडिया की संस्थापक, कला रमेश का काव्य संग्रह 'बियॉन्ड द होराइजन बियॉन्ड' पढ़ा।

 

उनके संग्रह के हाइकु छंदों की गहराई में मुझे बचपन में पढ़े दोहे और छंदों की प्रतिध्वनि सुनाई दी। इसके तुरंत बाद, मैं त्रिवेणी, हाइकु समूह में शामिल हो गयी और कला से हाइकु और तनका शैली में लिखने का ज्ञान प्राप्त किया। मेरा हाथ थामने और मुझे इस चिंतनशील शैली से परिचय करवाने के लिए, मेरी गुरु कला रमेश के प्रति मेरी गहरी कृतज्ञता!

 

२०१९ में मैंने अपनी हाइकाई कृतियाँ प्रकाशित करना आरम्भ किया और हाईकाई जगत में अपनी पहचान बनानी शुरू की। सादगी और जीवन के सत्य 'मकोतो' से सजी इस शैली ने मुझे अपने आस पास की दुनिया को एक नए नज़रिए से देखने का अवसर दिया। गत तीन वर्षों में मैंने यह पाया की भारतीय हाइकु कवियों ने कविता जगत में काफी ख्याति प्राप्त की है परन्तु हिंदी भाषा में लिखने वाले हाइकु कवि काफी कम संख्या में हैं। उस वक़्त त्रिया का जन्म हुआ! मेरा यह सतत प्रयास रहेगा की टीम त्रिया 'इंग्लिश लैंग्वेज हाइकु को अनुवादित कर ज्यादा से ज्यादा हिंदी पाठकों तक पहुँचाने में सफल रहे और त्रिया के द्वारा  हिंदी में हाइकु लिखने  कवियों को अपनी कविताएँ प्रकाशित करने का माध्यम मिल सके!

इलस्ट्रैशन हृषिकेश शर्मा ​

Conception of  Triya 

My rendezvous with poetry began at home as a child. My father would recite and translate the Gurbani hymns for me so that I could understand them and enjoy their beauty and depth of thought. They silently paved my way into the realms of ‘Satori’.

Years after, I stumbled upon haikai literature when my daughter, Ustat, at the Katha Festival – National Writers’ Workshop was mentored in this genre of poetry by Kala Ramesh, a renowned haijin, editor, curator and the founder of Triveni Haikai India. Reading the haiku verses from her collection, beyond the horizon, beyond, I was transported to the couplets of the Sufi poets. Her poems resonated with me deeply and I knew that this is what I need to learn. Soon after, I joined TRIVENI, the haiku group and enrolled myself in the haiku and tanka workshop by Kala. My deepest gratitude to Kala for holding my hand and walking me through this reflective and enlivening journey.

In 2019, I started sending my work to international haiku journals. Laced with simplicity and makoto (truth), this genre gave me the eye to look at the world around me from a fresh perspective. In past three years, I found that Triveni Haikai India - the Indian haiku community is rich, brimming with talent and has made its presence felt in the world of haikai literature, but Indian haiku poets who write Hindi Language Haiku are very few. Thus Triya was born! It will be our constant endeavor that team Triya translates the English Language Haiku and reaches out to Hindi readers. We at Triya also welcome haiku enthusiasts who originally write in Hindi. 

the journey

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