मजदूरी
स्त्रियाँ
चाहती हैं अपनी कोख़ में पुत्र
ताकि वक़्त आने पर
दूध का मोल लगा सकें
और माँ बनने से पहले
बन बैठतीं हैं व्यापारी
फिर उसी रक्त से उपजता है एक आदमी
जो औरत का मोल लगाता है
पर यह कोई नहीं समझ पाता
कि यह सोच उस तक पहुँची है
गर्भ नाल से
और उस स्त्री की अपेक्षाओं का बोझ
लादती है दूसरी स्त्री
यहाँ हर स्त्री दूसरी स्त्री की मज़दूरी कर रही है
और खड़ी कर रही है पितृसत्ता की दीवार
तेजी