tejisethi13Nov 10, 20211 min readजन्म Updated: May 3दीवारों पर उगी काईकविताओं जैसी हैजो चेतना की दरारों से फूटी हैं इनका उग आना हमारे बस में नहीं जिसने भी काव्य को जाना है लिखा है उसे पता है कि कविता, गहरी हो या उथली जन्म के लिये जन्मदाता स्वयं चुनती है तेजी
दीवारों पर उगी काईकविताओं जैसी हैजो चेतना की दरारों से फूटी हैं इनका उग आना हमारे बस में नहीं जिसने भी काव्य को जाना है लिखा है उसे पता है कि कविता, गहरी हो या उथली जन्म के लिये जन्मदाता स्वयं चुनती है तेजी