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Writer's picturetejisethi13

चावल की चूँटी


सुना है

उत्तर भारत के कुछ क़स्बों में

नवजात बच्चियों के मुँह में

रख दिए जाते थे

चुटकी भर चावल

जो बच्ची की लार के साथ गीले होते

और फूलते जाते

कुछ ही घंटों में बच्ची का दम घुट जाता


कुछ वर्ष पहले यूँ ही

किसी ने मेरे मुँह में रखी

एक चुटकी भर सोच

जिसे मैं अपना मान चबाती रही

धीरे धीरे उसका पसाव

पहले मेरे शरीर में पहुँचा

फिर जमने लगा

मेरी धमनियाँ में


संकुचित होती धमनियों में

भला कैसे बहते मुक्त शब्द?

पर यदि शब्द ही श्वास हो

तो आदमी पूरी जुगत लगा देता है

उन्हें पाने के लिए


पूरे १३ वर्षों के अंतर्द्वंद्व के बाद

मुझे मिले मेरे शब्द

इस बार मैने रखी किसी के मुँह में

अपने शब्दों की चुटकी


और यूँ हुआ

एक करीबी रिश्ते का गर्भपात

तेजी



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2 Comments


18lakshmiv
18lakshmiv
May 03, 2023

Chawal ki chunti - beautiful poem and your words seem to glide down my soul. Thank you!!

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tejisethi13
tejisethi13
May 03, 2023
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Thanks, Lakshmi, for giving it a read!

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